About Me
“नमस्ते, मैं तेज 🌿
मैं 24 साल का हूँ, और पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने अपनी जड़ों की ओर लौटने का फैसला किया — खेती।
बचपन से लेकर ग्रेजुएशन तक, मैं अपने गाँव और घर से दूर रहा। शहर की ज़िंदगी ने मुझे अनुभव तो दिए, लेकिन वह सुकून कभी नहीं दिया जो मेरे गाँव ने दिया। खेतों की ताज़ी हवा, गाँववालों की सादगी भरी बातें, गाँव की रंगीन संस्कृति और असलीपन का स्वाद — यही मेरी असली पहचान है।
मेरा मानना है कि असली ख़ुशी हमेशा ऐशो-आराम या तेज़ रफ़्तार वाली शहर की ज़िंदगी में नहीं होती,
कभी-कभी वह हरे-भरे खेतों में, मिट्टी की खुशबू में और अपनेपन भरे लोगों के बीच मिलती है।
इस ब्लॉग के ज़रिए मैं अपनी यात्रा, अपने विचार और गाँव की खूबसूरती आपसे साझा करना चाहता हूँ।
स्वागत है मेरे संसार में — एक सादा जीवन, जो प्रकृति के करीब है। 🌱💫”

Story

पढ़ाई पूरी करने के बाद जब मैं गाँव लौटा, तो मेरे मन में ढेरों सवाल थे – क्या खेती सच में मेरे लिए सही रास्ता है? क्या मैं इस ज़िंदगी में सचमुच खुश रह पाऊँगा?
उस सुबह पापा ने कहा, “आज मेरे साथ खेत पर चल।”
पहली बार मैंने अपने हाथों से मिट्टी को छुआ। मिट्टी की खुशबू जैसे दिल तक उतर गई। नरम धूप फसलों पर पड़ रही थी और दूर से पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी।
मैंने पहली बार हल पकड़ा। हाथ गंदे हो गए, पसीना चेहरे पर बहने लगा… लेकिन मन के भीतर अजीब-सी शांति महसूस हुई। उसी पल मुझे एहसास हुआ – किताबों से मिली डिग्री शायद मेरी पहचान नहीं है, बल्कि यह मिट्टी ही मेरी असली ताक़त है।
उस शाम जब थककर घर लौटा, तो दिल पहले से कहीं हल्का था। लगा जैसे आज सच में कुछ अपना हासिल किया है।
और मैंने खुद से कहा – “हाँ, यही है मेरी जगह… मेरे खेत, मेरा गाँव।” 🌱